बचपन से उसे बता दिया गया था कि बड़ा होकर उसने सरकारी नौकरी करनी है. देव सिंह नाम था उसका बचपन से ही बहुत बड़ा बेवकूफ, तीसरी क्लास से लेकर बारहवीं तक उसने मन और दिल दोनों लगाकर पूरा समय पढ़ाई की. तीसरी में जहाँ वह दो साल टिक कर पढ़ा वहीं सातवीं में उसने तीन साल का कीर्तिमान स्थापित किया. हाईस्कूल आते आते वह इतना पढ़ चुका था कि आगे नहीं भी पढता तो चल जाता. मगर पिताजी की जिद ने उसे आगे पढ़ाई जारी रखने को मजबूर कर दिया.
वह पूरे दिल से पढ़ाई करता एक एक क्लास में दो दो साल तसल्ली से बैठकर पढ़ता ताकि कोइ ये ना कहे कि देबुआ पढ़ाई से जी चुरा रहा है. बारहवीं के दौरान ही उसे पता चला कि बैंक वाले बारहवीं पास को ले लेते हैं. फिर क्या था रेकॉर्ड दो साल में बारहवीं करके वह सीधा कोचिंग के लिए देहरादून रवाना हो गया. घर में पिताजी के सर पर हाथ रखकर कसम खाई कि अब उसी दिन घर आऊंगा जिस दिन बैंक में कुछ बन जाऊंगा.
देबुआ यहाँ भी पूरी मेहनत कर रहा था लेकिन फायदा नहीं हो पा रहा था चार साल में 28 टेस्ट दे चुका था लेकिन रिजल्ट सबका एक सा था. कोचिंग सेंटर वालों को उस पर नाज था आखिर उसकी परफॉर्मेंस कांस्टेंट थी .बैंक के कांट्रेक्टर से पहचान हो गयी थी उसकी , सेटिंग करके दो लाख रुपये उसने लगा रखे थे बैंक में कुछ बनने के लिए लेकिन लोकपाल आंदोलन के कारण घूस आगे नहीं बढ़ पा रही थी. घर से निकले 6 साल हो गए पर देबुआ को कोइ भी सरकारी नौकरी ढूंढ नहीं पायी.
देबुआ नाराज था पर निराश नहीं, हताश था पर हारा नहीं . उसने कांट्रेक्टर से पैसे की बात की तो उसने उसे बैंक में आखिर लगा दिया.
देबुआ आठ सालों में पहली बार घर गया उसने अपने पिताजी को बताया कि पूरे बैंक में चाय अब वही बेचता है. चोखी कमाई है. अब वह बैंक में लग गया है. ये नौकरी कभी नहीं छोड़ेगा .
धीरे धीरे बैंक वालों के उधार खाते बढ़ते रहे और देबुआ कर्जे में आता रहा. आखिर बैंक वालों पर साढे पांच लाख की उधारी छोड़ . देबुआ शहर के प्रसिद्ध कामुक बाबा के साथ हो लिया.
उनकी प्रति दिन की कमाई लाखों में थी, ऊपर से टेक्स बिलकुल नहीं और उधार का तो मतलब ही नहीं. जुबान मीठी रखो और सबका भला करने वाली बातें बोलो यही फलसफा था. इसको देबुआ ने रट लिया और आखिर उन के पीछे चेला बनकर चलने लगा. बाबा ने उसे दो साल के एडवांस कोर्स के लिए हिमालय भेज दिया. जहाँ वह फिलहाल प्रोपेर्टी सेट कर रहा था. जब आख़िरी बार उसे देखा गया तब वह भगवा वस्त्र में नेपाल से शुद्ध गांजा ला रहा था पुलिस ने पकड़ लिया और आधा माल लेकर छोड़ दिया. फिर भी उसे नौ लाख का फायदा हुआ. आम आदमी होता तो पूरा माल जाता और डंडे पड़ते वो अलग, तभी कहते हैं –भाई बाबा बनने में फायदा है