राममनोहर लोहिया ने सालो पहले देश में पल रही उन बुराइयों पर वार किया था जो आज भी देश में कभी ना खाली होने वाला कमरा लिए बैठी है . लोहिया उन चुनिन्दा नेताओं में से एक थे जिन्होंने अपने विचारो से देश को तरक्की का रास्ता दिखाया. आज ही के दिन यानि 12 अक्टूबर को लोहिया बीमारी से लड़ते हुए इस दुनिया को अलविदा कह गये थे. लेकिन उनके विचार हमेशा के लिए अमर हो गये . लोहिया ने ‘ भारत अंग्रेजी हटाओ आन्दोलन ‘ की शुरुआत की थी . उनका लोगो को हिंदी भाषी बनाते हुए आत्मविश्वास से भर देने का सपना था , जो आज भी कही न कही जमीन से ऊपर ही ऊपर उड़ रहा है.
लोहिया ने अपनी बात कुछ इस अंदाज़ में भी समझाई
“ मैं चाहूँगा की हिंदुस्तान के साधारण लोग अपनी अंग्रेजी के अज्ञान पर लजाए नही .बल्कि गर्व करे .इस सामंती भाषा को उन्हीं के लिए छोड़ दे जिनके मां –बाप अगर शरीर से नही तो आत्मा से अंग्रेज है “
लोहिया मानते थे कि –
” अंग्रेजी का प्रयोग मौलिक चिंतन को बाधित करता है , आत्महीनता कि भावना को पैदा करता है और शिक्षित व अशिक्षित के बीच खाई बनता है अत: आइये हम सब मिलकर हिंदी को उसका पुराना गौरव लोटायें ! अंग्रेजों ने बन्दूक की गोली और अंग्रेजी की बोली से हम पर राज किया ! ”