सोशल मीडिया पर आजकल ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) का ख़ास अंदाज़ में खूब प्रचार हो रियो हैं. हो भी क्यों न टाइम ही ऐसा चल रो है के सब जनता को भोली भली समझ,समझाने में लगे हैं. याने वोट डालने से पहले ईवीएम कु चालू करने के लिए कमल का बटन दबाओं तो कहीं अंगूठे से हाथ का निशान दबाने की हिदायत देन का सिलसिला चल रियो है. कई जगह तो वोटिंग मशीन की धुल साफ़ करने की बात समझाते होए लोगन को झाड़ू दबाए को बोला जा रो हैं.
चुनाव से पहले वोटिंग मशीन को पहेली बना हर पार्टी की कोशिश अपने लिए ज्यादा से ज्यादा वोट के जुगाड़ करने की हो री हैं. वोटिंग मशीन के बहाने वोट बटोरने कु यो ही फंडा 2004 में भी राजनितिक दलों ने अपनाया था. 13 साल पहिला जब वोटरों को पहली बार ईवीएम के जरिये वोट डालने का मौका मिला था तब भी मशीन चलाने के लिए यह बटन वो बटन दबाने के प्रचार का सिलसिला चला था. अगर मशीन चलाने को एक बार कु बटन दबा की गलती कर दी तो फिर इंतजार में ही रहनो पड़ोगो वोट डालने कु.
वैसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की कई खासियत और भी है जैसे ईवीएम के अंदर 10 सालों तक परिणामों को सुरक्षित रखा जा सकता है. एक ईवीएम अधिकतम 3840 वोट दर्ज़ करे है. ईवीएम पर ज्यादा से ज्यादा 64 प्रत्याशी तक दर्शाए जा सकते हैं. साथ ही ईवीएम के अंदर 10 सालों तक परिणामों को सुरक्षित रखा जा सकता है.
नये वादों का करतब पांच बरसों बाद दिखलाने,
तुम्हारी बस्तियों में फिर से, मदारी आने वाले हैं
तुम अपने वोट को सोचे बिना खैरात मत करना,
पहनकर कीमती खद्दर, अब भिखारी आने वाले हैं..
सुना ये है कि बनवाये गये हैं जाल रेशम के,
परिंदो तुम जागते रहना, शिकारी आने वाले है..