यंगिस्तान

एसे होती है छोटी मोटी डिजिटल लूट

फरवरी 5, 2017 ओये बांगड़ू

आपसे लाईक शेयर कमेन्ट मांगकर कोइ कैसे घोटाला कर सकता है आप यही सोच रहे होंगे. मै भी सोचा करता था जब ये भगवान के नाम लाईक मांगते थे. हद ही हो जाती थी जब उसमे हजारों लाईक नजर आ जाते थे. एक दिन एक बिजनेस मीटिंग के दौरान मै बल्ब बनाने वाले सर जी के यहाँ बैठा था. (नाम रहने ही दो ज्यादा अच्छा है, आपको मैटर जानने से मतलब है ). सर जी को सोशल मीडिया का जबर्दस्त शौक था. चार मोबाईल रखे थे पास में , उस समय सेमसंग का एस 4 आया था लेटेस्ट , तो वो खुद को भयंकर वाला टेक्नो फ्रेंडली मानते थे, मगर हकीकत बस इतनी थी कि वो एक बिजनेस मैन थे इसके अलावा कुछ नहीं.

एक डिजिटल मार्केटिंग का बन्दा आया उनके पास , उनसे बोला कि ‘सर आप टेक्नोलोजी यूज करते हो हम आपको फ्यूचर टेक्नोलोजी बता रहे हैं, किस तरह से भविष्य में मार्केटिंग होगी , क्या होगा कैसे होगा वगेरह वगेरह ‘ मुझे ये फ्यूचर मार्केटिंग शब्द बहुत अच्छा लगा, मेरे लिए नया था. तो मैने खुद इस मीटिंग में शामिल होने की परमिशन माँगी जो उन्होंने दे भी दी.

अगले एक घंटे में हम उस डिजिटल मार्केटर का प्रजेंटेशन देख रहे थे. उसने कुछ आधा दर्जन फेसबुक पेज दिखाए हमें जो उसकी कम्पनी की पीआर टीम हेंडल करती थी (उसके अनुसार) वो किसी भी प्रोडक्ट को ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से एक दिन में एक लाख लोगों तक पहुंचा सकते थे, कुल मिलाकर उसने सर जी को इतना इम्प्रेस कर दिया कि डिजिटल मार्केटिंग के नाम पर सर जी ने उसके दस लाख का एनुअल प्रोपोजल एक्सेप्ट कर लिया. जिसमे वह बल्ब की डिजिटल मार्केटिंग करने वाला था.

मुझे दोनों चीजें बचकानी लगी, एक बिजनेस मैन का इस तरह खुले हाथ पैसे दे देना और एक डिजिटल मार्केटिग कहने वाले का खड़े खड़े फेसबुक के नाम पर पैसे बनाना. उसके दिखाए पेज की पड़ताल की तो पाया, भगवानों ,अल्लाह ,दीन हीन लोगों के नाम पर वो अपने पेज पर रोज लाईक कमेन्ट की डिमांड करता था. असल में पब्लिक इमोशनल होकर ये सब कर भी देती थी. और इन असंख्य लाईक्स को वह अपने क्लाईंट को दिखा कर यह कहता कि देखो उसके पास इतने लाख फोलोवर हैं जिनके दम पर वह कोइ भी प्रोडक्ट हिट कर सकता है. फ्यूचर मार्केटिंग जैसा बढिया प्रजेंटेशन बनाकर उसने बहुतों को चूना लगाया. बहुत से युवा व्यवसायी (जिन्हें अपने पिताजी से बिजनेस दान में मिला है ) उसके  टेक्नो फ्रेंडली कांसेप्ट में फंसे भी.

लेखक एक मित्र हैं जो खुद छोटे मोटे व्यवसायी हैं

 

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