बांगड़ूनामा

एक पंद्रह अगस्त ऐसा भी

अगस्त 15, 2018 ओये बांगड़ू

पंद्रह अगस्त से  एक रात पहले सारे सिपाही बैरक में मोती चूर के लड्डू मलने में लगे थे. शहर भर के स्कूलों में फौजी कैम्प से ही मिठाई जानी थी. शहर भर के कुछ चौराहे चिन्हित किये गये जिनसे गुजरने वाले बच्चों को मोती चूर के लड्डू थमाने थे. कई सिपाही अगले दिन को लेकर खास परेशान थे. दरसल परेशानी लड्डू बनाने और बांटने की नहीं बल्कि उसके बाद होने वाले कार्यक्रम की थी. जिसके मुखिया सी.ओ साहब थे.

शहर भर में मिष्ठान वितरण के बाद दिन में जवानों के बैरक में ही हर साल की तरह कार्यक्रम होना था. तकलीफ की बात यह थी इस कार्यक्रम में सी.ओ साहब का गाना गाने का कार्यक्रम था . ग्रेजुएशन  करने के बाद न जाने कौन सी परीक्षा पास कर सी.ओ बने थे. सी.ओ साहब के गाने की कला से कम्पनी का एक-एक जवान त्रस्त था. बीवी से दूर रहने का गम था या काँँलेज के दिनों की कोई आशिकी. सूर्य अस्त होते ही सी.ओ साहब में मनहूसियत का अजीब सा भूत सवार होता.

मनहूसियत के भूत को उतारने के लिये सी.ओ. साहब को हलक से नीचे डेढ बोतल शराब लगती और इस बीच सिपाहियों की ऐसी-तैसी होती. सी.ओ. साहब गाली दे तो भी जवान झेल ले लेकिन रात के दो बजे तक सी.ओ. साहब का बेसूरा गाना. गाना भी एकदम मनहूस प्यार में धोका खाये आशिकों वाला. इस सब के ऊपर साहब की तारीफ में कसीदे पड़ना.

खैर पिछले नौ महीनें से जवान बारी-बारी से यह सब झेल रहे थे ,लेकिन पंद्रह अगस्त के दिन सी.ओ. साहब द्वारा सामुहिक अत्याचार होना था. शराब के नशे में वाहियात गाने वाले सी.ओ साहब बिना शराब के भयानक वाहियात गाया करते. जिसका नमूना सी.ओ. साहब छब्बीस जनवरी के दिन पेश कर चुके थे.

खैर पंद्रह अगस्त के कार्यक्रम की सरदर्दी को सी.ओ. साहब ने मधुर काक स्वर में मेरा रंग दे बसंती चोला से शुरु किया. नौ महीनें में झूठी तारीफ करने में पूर्णरुपेण निपुण हो चुके जवानों ने मन में मादर-फादर के उवाच्चों के साथ रंग दे बसंती चोला की शान में ऐसे कसीदे पड़े की सी.ओ. साहब ने अगला गाना मेरे देश की धरती सोना उगले चालू कर दिया. मेरे देश की धरती की भयानक तरीके से मां-बहन करने के बाद भी जवानों के उत्साह में कमी ना आयी. यह देख कर सी.ओ साहब ने भयानक महिषासुर स्वर में आलाप छोडा. ये आलाप इतना तीव्र और लम्बा था कि अंत में माईक ने जवानों पर रहम खा कर टू… नामक प्रतिष्ठित ध्वनि निकाली. संगीत में तल्लीन हो चुके सी.ओ साहब की संगीत साधना में खलल पड़ा लेकिन जवानों के उत्साह को यथावत पाते हुए उन्होनें गाना तय रखा और इस बार बारी थी मां तुझे सलाम की.

मां तुझे सलाम को लम्बे-लम्बे आलापों के साथ निस्ते-नाबूत करने के बाद सी.ओ. साहब जैसे पानी की बोतल की ओर बड़े जवानों के एक ग्रुप ने उन्हें घेर लिया और सी.ओ. साहब को गोद में उठाकर भारत माता की जै नारों के साथ कार्यक्रम का समापन्न किया गया.

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