दादा पोते को कहानी सुना रहा था, ऑटो और इरिक्शा के प्यार की।
अशोक नगर के चौराहे पर दोनो एक दूसरे से चिपक लर खड़े रहते थे,पीले रंग का ऑटो और लाल रंग की ई रिक्शा, अशोक नगर की भीड़भाड़ में गर्मी में चिपके चिपके न जाने कब एक् दूसरे के इतना करीब आ गए कि उन्होंने साथ साथ जीने मरने की कसम खा ली।
अब दिक्कत यह थी कि पेट्रोल बिरादरी का ऑटो लम्बे रुट का राजा था, उसे 10 10 रूपये के लिए सवारियां नही ढूंढनी पड़ती थी, एक् साथ बड़ा गेम खेलता था, सीधे 100 से ऊपर की कमाई वाला, वहीं बिजली बिरादरी की ई रिक्शा 10 10 की सवारियों को लोकल में इधर से उधर पहुँचाती थी।
खानदान अलग बिरादरी अलग, मिलें तो मिलें कैसे?
ऊपर से अशोक नगर के चौराहे में उन्हें यूं मिलते जुलते देख भी लिया गया था।
एकसाथ काम करते हैं तो इसका मतलब ये जो कि हुआ कि साथ रहने लग जाएंगे, दोनो की खुराक अलग, खाना अलग, एक् पेट्रोल सीएनजी पर जिंदा दूसरा बिजली पर, एक् तो बकायदा भारत सरकार के आरटीओ ने मान्यता दे रखी है जबकि दूसरे को ऐसा कोई रजिस्ट्रेशन नम्बर नही।
दोनो के रहन सहन में भी जमीन आसमान का फर्क, एक् में सीएनजी या पेट्रोल भरो और जहां मर्जी वहां ले चलो, बस पेट्रोल भरने की देर, जबकि दूसरे को चार्ज करने में ही 4 4 घण्टे का वख्त लगे। ऐसी बेमेल जोड़ी का रिश्ता कोई एक्सेप्ट करे भी तो कैसे करे।
दोनो तीन टायर वाले हैं इसका मतलब यह थोड़ी है कि प्यार कर लेंगे।
अशोक नगर की भीड़ भाड़ और कम जगह के कारण दोनो पास तो आ गए थे, लेकिन उनके इस रिश्ते को एक्सेप्ट करने के लिए कोई भी तैयार नही था।
आखिर बिरादरी भी कोई चीज होती है, कहाँ सदियों पुरानी पेट्रोल बिरादरी और कहां कल की आई बैटरी रिक्शा, न कुल का पता न खानदान का।
दोनो के इश्क को दबाने के लिए फौरन जेसीबी बुलाई गई, अशोक नगर के नाले में जेसीबी चलाकर ई रिक्शा और ऑटो के खड़े होने के लिए अलग अलग जगह बनाई गई, ताकि भीड़ का बहाना करके दोनो फिर एक् दूसरे के करीब आने की कोशिश न करें।
दोनो अगर एक् हो जाते तो सोचो समाज क्या सोचता, एक् पेट्रोल से चलने वाला ऑटो ,बिजली की ई रिक्शा के पीछे पागल हो गया । गलती से कहीं इन दोनों की शादी हो जाती तो कैसे बच्चे निकलते, बिजली से चलने वाला ऑटो, जिसे घण्टों चार्ज करना पड़ता।
कहानी के बीच मे पोता बोला
“दादा अगर दोनो मिल जाते तो यह भी तो हो सकता है न कि लम्बी दूरी के लिए चलने वाले बिजली के ऑटो हमारे बीच होते, ये जात बिरादरी के चक्कर मे हमने वह खो दिए।”
दादा की कहानी में दादा ही कमजोर पड़ गया था, अब जात बिरादरी समझाना बेकार था।
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