क्या पढाई कराएं जी बच्चे को, घर घर में इंजिनियर है, बीएड वाले पुराने ही क्लियर नी हो दे रे. मेडिकल की अपनी औकात नहीं अब आप बताओ क्या बनाएं ? आपकी तरह पतरकार बना दें .
कसम से ये सवाल सुनकर अंदर तक रूह काँप जाती है.
हे बारहवी में पढ़ने वाले बच्चों , अपना कॅरियर चुनते समय तुम्हे कन्फ्यूजन हो रही होगी, सब कुछ चुनना पत्रकारिता मत चुनना, खासकर हिंदी की तो बिलकुल नहीं, इसलिए नहीं कि स्कोप नहीं है बल्कि इसलिए कि यहाँ तुम्हारी कोइ कद्र नहीं है।
तुम्हे सोशल मीडिया से लेकर गली मोहल्लों में दलाल कहा जाएगा, भले ही तुम मोहल्ले के पानी बिजली और सीवर के लिए नेता प्रशासन से सवाल पूछ रहे हो, लड़ रहे हो मगर उस टीवी में बैठे में कुछ गिने चुने नमूनों के कारण तुझे दलाल कहेंगे ।
तुम्हे बिकाऊ कहा जाएगा भले ही तुम 2000 रुपये किराए के एक कमरे के मकान में तीन दोस्तों के साथ शेयरिंग में रह रहे हो ।30 रूपया डाईट वाला खाना खा रहे हो, दिल्ली जल बोर्ड का पानी पीकर बीमार पड़ रहे हो ।लेकिन तुम बिकाऊ हो क्योंकि तुम मीडिया हो।
तुम्हे नेता के हाथों की कठपुतली कहा जाएगा भले ही नेता तुम्हे देखते ही दूर भागता हो। नेता ने अपने चमचे को सख्त हिदायत दे रखी हो कि डाग्स एंड दिस जर्नलिस्ट नाट अलाउड.
तुम्हे बिकाऊ मीडिया कहकर संबोधित करेंगे, जबकि तुम्हारी कुल सैलरी तुम्हारे काल सेंटर वाले दोस्त की सैलरी के गाड़ी के तेल के बराबर होगी।
तुम सोचोगे इज्जत के लिए पत्रकारिता चुनूंगा , लेकिन तुम्हारी इज्जत रोज सरे आम बेची जायेगी।
तुम सोचोगे विचारधारा के लिए पत्रकारिता चुनूंगा , लेकिन विचारधारा का बलात्कार कर दिया जायेगा।
तुम सोचोगे पढ़ने लिखने वाले प्रबुद्ध लोगों के बीच रहने का मौक़ा मिलेगा,लेकिन पढ़े लिखे नौकरी बचाओ समिति के सदस्यों के साथ रहकर तुम्हे एहसास होगा कि सेल्समेन बन जाते तो ज्यादा इज्जत और ज्यादा प्रबुद्ध लोगों के बीच रहने का मौक़ा मिलता , और कम से कम अपने बेचने के एथिक्स के साथ न्याय कर रहे ईंमानदार लोगों वाली फीलिंग तो आती।
तो हे बारहवी वालों यहाँ आओगे तो ये ध्यान रखना, यहाँ एथिक्स नहीं कारपरेट जगत काम कर रहा है।
यहाँ आओगे तो पहले से इन सब बातों की तैयारी कर लेना और हे माँ बापों ये पढ़ लेना .