चंकी महाराज घूमने फिरने के अति शौक़ीन हैं लेकिन आजकल सिर्फ एटीएम टू एटीएम ही जा पा रहे हैं. जेब में पैसे नहीं हैं और किसी ने दो हजार रूपये पकड़ा दिए. अब करें तो करें क्या चाय वाला खुले नही देता सिगरेट वाला कहता है पूरी डब्बी खरीद लो. खैर आज उन्होंने एटीएम की सोशल गैदरिंग पर कुछ लिख भेजा है. आप भी चाटिये.
पहले जमाने में चौपाल पर चर्चा हुआ करती थी . गाँव मोहल्ले कालोनी अलग अलग जगहों पर चौपाल में मिला करती थी भीड़. फिर वख्त बदला और चाय के साथ अखबार का ज़माना आया तो लोगों ने चाय की ढबरियों/फड़/स्टाल पर मिलना शुरू किया. यहाँ चाय की चुस्की के साथ देश विदेश के अतिगम्भीर मुद्दों पर बेफाल्तू की चर्चा की जाती थी.
फिर आया फेसबुक ट्विटर का दौर . इस दौर में लोग फेसबुक ग्रुप में मिलने लगे ट्विटर में चिचयाने लगे. एक दुसरे के खैर खैरियत पूछने लगे. फिर आया इसी का उत्तराधुनिक काल जिसमे वाटस्प ग्रुप बने और चौपालें सिमट कर स्मार्ट फोन में आ गयी. लोग अपनी राय रखने लगे दुसरे की सुनने लगे. पहले जहाँ चुन्नू के पप्पा या मोहन के दादाजी टाईप का संबोधन हुआ करता था वहीं अब ऋतिक की फोटो वाले शर्मा जी वाला सम्बोधन चालू हो गया था यही था उत्तर आधुनिक काल.
लेकिन हमारे देश के पीएम ने यह काल भी बदल दिया . अब शुरू हुआ एटीएम काल . लोग एटीएम पर मिलते हैं .शक्ल से एक दुसरे को पहचानने लगे हैं. एटीएम पर बैठकर कैश के इन्तजार में घंटों देश विदेश के अतिगम्भीर मुद्दों पर अतिबकवास चर्चा करते हैं. वाट्सअप फेसबुक में आये फोटोशाप तस्वीरें दिखाकर अपनी बात का वजन बडाते हैं. फर्जी आडियो वीडियो सुना दिखाकर देशभक्ती का प्रचार करते हैं. कुछ भी हो एटीएम एक एसी जगह बन चुका है जहाँ पूरे सबूतों (चाहे वह फर्जी क्यों ना हो ) के साथ लोग चर्चा करते हैं. और न्यूक्लियर डील तक चुटकी में साल्व कर देते हैं.
मोदी जी की इस उपलब्धी पर उन्हें मेरी तरफ से दिल की गहराइयों से बधाई. कालाधन आये ना आये, आपने हमारी वह चौपाल वाली संस्कृति हमें लौटा दी. पहले हम चौराहे के पेड़ के नीचे पर बैठा करते थे अब चौराहे के एटीएम पर बैठते हैं. फील आलमोस्ट सेम आती है.
नमो नमो . हर हर मोदी .