बांगड़ूनामा

ढारस

अक्टूबर 27, 2016 ओये बांगड़ू

रास्ता हो सकता है लंबा

रास्ता हो सकता है कठिन

मगर चलने के लिए

यह ढारस क्या कम है

कि चलने के लिए है कोई रास्ता

सीमीं अख़्तर नक़वी रीसर्च के साथ समसामयिक चीजों पर भी बराबर वख्त देती हैं

 

पिक सीरीज की पुरानी कविता के लिए यहाँ क्लिक करें

http://www.oyebangdu.com/kashti/

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *