डियर Ex
शब्दों से अच्छा तो तुम खेल ही लेते थे अब जादूगरी भी अच्छी करने लगे हो. तुम्हारी ही कहूँ तो खेलने और जादूगरी में बस छल का ही एक भेद है. तुम्हारी जादूगरी इतनी बारीक है कि उसने मुझे मेरी ही नजरों में गिरा दिया. दूध में जिम्मेदारी का उबाल आते ही तुम उड़ भागे थे पर दोषी मैं हो गयी. बगिया के पतझड़ की आहट से तुम उड़ भागे पर दोषी मैं हो गयी. क्योंकि तुम्हारी नज़र में बगिया और दूध दोनों ही मैं थी, दोनों स्थिर. भटकने वाले तुम, कभी भौरे, तो कभी मक्खी. प्यार के मारे मेरे प्यारे आशिक इतना तो तुम जानते ही होगे मुझे भौरे और मक्खी दोनों ही नापसंद हैं.
ख़ैर मुझे न खेलना आता है ना जादूगरी इसलिये सीधा कहूंगी तुम्हारे जाने के बाद मेरी जिन्दगी ना दूध हुयी ना ही बगिया. मेरी जिन्दगी, जिन्दगी ही रही. बगिया, भौरे, खुले आसमान की कहानी उतनी ही हवा-हवाई है जितनी की तुम्हारे प्यार भरी दुनिया. मैं ये नहीं मानती की तुम्हारा प्यारा झूठा था पर तुम्हारी शब्दों की दुनिया जरूर झूठी थी. मुझे तुम इसलिये नहीं पसंद कि तुम्हारा प्यार झूठा था बल्कि इसलिये नहीं पसंद क्योंकि तुम्हारी प्यार भरी बातें झुठी थी. प्यार के मारे मेरे प्यारे आशिक इतना तो तुम जानते ही होगे की मुझे झूठ से कितनी नफ़रत है.
क्योंकि मेरी जिन्दगी जिन्दगी ही रही है इसलिये मैं इसे जी रही हूँ. तुम्हारी तरह बेबस और लाचार की तरह नहीं. मुस्कुराती, गुनगुनाती, थिरकती जिंदगी. शराब मैं भी पीती हूँ धुएं से भरी गलियों से मैं भी गुजरती हूँ पर ना कभी नाली में गिरती हूँ ना पड़ती हूँ. प्यार के मारे मेरे प्यारे आशिक इतना तो तुम जानते ही होगे मुझे बेबसी दिखाने वालों से कितनी नफ़रत हैं.
हम ना मक्खी हैं ना हम भौरे हैं हम इंसान हैं. एक समय बाद प्यार तो जानवरों से भी हो जाता है पर लेकिन रिश्ते इंसानों संग ही बनाये जाते हैं. मुझे भी तुमसे प्यार है और रहेगा पर रिश्ता नहीं बना सकती क्योंकि रिश्तों की जड़ सच्चाई के पानी से सींची जाती है ना कि झूठ के तंदूर में उसे सेका जाता है. ना तुम समझोगे ना ही मानोगे ही पर फिर भी मेरा फर्ज बनता है. ये चौराहों से तांका झाकी बंद कर दो मेरे दोस्त. डर सा लगता है नजरों में कैद हो जाने का. मेरे लौटने का नहीं मेरे कैद का पिंजरा है ये चौराहा. प्यार के मारे मेरे प्यारे आशिक इतना तो तुम जानते ही होगे कि मुझे अपनी आजादी से कितना प्यार है.
अपनी पर आकर कहूँ तो मैं इस चौराहे पर एक दीवार खड़ी करना चाहती हूँ. एक दीवार जो हमें अलग कर सके. जिसमें तुम अपेक्षाओ के बोझ से आजाद निर्बाध दौड़ सको उड़ सको. बाकि खिलाड़ी तुम थे आशिकी के जादूगर बन ही रहे हो तो बदलते रहना कभी भौरे तो कभी मक्खी का रुप. प्यार के मारे मेरे प्यारे आशिक इतना तो तुम जानते ही होगे कि मुझे इन आशिकों से किस क़दर नफ़रत है.
तुम्हारी Ex
dear ex
एक बेहतरीन लिखावट का नमूना. लगे रहो भाई, सप्रेम शुभकामनाओं के साथ तुम्हारा मित्र
आभार दोस्त