फीफा वर्ल्ड के सेमीफाइनल में क्या-क्या हुआ, जीत का गोला दागने वाली क्रोएशिया टीम के 2 शानदार गोल से लेकर उस देश के इतिहास तक सब कुछ एक दम देसी स्टाइल में , तो पढ़िए भावी पत्रकार आदित्य प्रताप सिंह का लेख
फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप के सेमीफ़ाइनल में क्रोएशिया ने इंग्लैण्ड को 2-1 एक से हरा दिया . क्रोएशिया टीम अब अपने 20 साल पुराने सपने को पूरा करने से मात्र दो क़दम पीछे है, वही इस टीम ने इंग्लैंड को 52 साल पीछे ढकेल दिया ,जब 1966 में इंग्लैंड ने वेस्ट जर्मनी को हराकर वर्ल्ड कप हासिल किया था. 52 साल बाद इंग्लैंड के पास फ़ाइनल में पहुँचने का अच्छा मौक़ा था,पर मैंडजुकिच ने इंग्लैंड को आख़िर मोड़ पर उसके 52 साल पुराने सपने को तोड़ दिया .
लुजनिकी स्टेडियम में 81000 दर्शकों के बीच क्रोएशिया 10 खिलाड़ी 1990 के बॉल्कन युद्ध की तरह फूटबाल के मैदान में अपने प्रतिद्वंदी से गेम में 105 वे मिनट तक लड़ते रहे। मैच के 5 वे मिनट में ही ट्रिपपीयर को अपनी असीम प्रतिभा का हुनर दिखाने का मौका मिला , दरअसल लुकाने फ़ुटबॉल की जगह ट्रिपपीयर को ही मार दिया. इसकी वजह से इंग्लैंड को फ्री किक मिल गई, ट्रिपियर ने एक शानदार गोल दाग़ी जो गोल किपरडेनियल सुबेसिच के आँखों के सामने से निकलती हुई नेट को भेदी, इससे 12 साल पहले पूर्व कप्तान डेविड बेकहम ने इक्वाडोर ख़िलाफ़ ने फ्री किक पर गोल मारी थीं.
मैच के 68वे मिनट में क्रोएशिया की टीम ने चोचक गोल दाग़ दी, इसके बाद दोनों टीम 1-1 से बराबर हो गई थी. इसके बाद इंग्लैण्ड के टीम और दर्शकों निराश हो गए , मैदान से लेकर इंग्लैंड के गलियों तक सब जगह ख़ामोशी का माहौल बन गया पूरे स्टेडियम में तूफ़ान के आने से पहले की तरह शांति थी। मानो कोई कई सदियों से इस तूफ़ान की तलाश भटक रहा था , बस इस तूफ़ान तक पहुँचने में कुछ ही मिनट का फ़ासला बच गया था. मैच के अंतिम समय में 4 मिनट का एक्स्ट्रा टाइम मिला जो क्रोएशिया के लिये रामबाड़ साबित हुआ। अंतिम समय में मैंडजुकिच की एक किक सुनामी की तरह नेट को चिरते हुए अंदर चली गयी। मैंडजुकिच के एक गोल ने पूरे विश्व में सुनामी ला दी, इस गोल के बाद क्रोएशिया को भी कुछ पल के लिए विश्वास नहीं हुआ की उसने मैच जीत लिया । क्रोएशिया को इस सुनामी का इंतज़ार 2 दशक से था. 18 मौको में से यह दूसरा मौक़ा रहा, जब किसी टीम को पहली बढ़त बनाने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा हो । पहली बार 1990 में इटली ने अर्जेटेनिया के ख़िलाफ़ बढ़त बनाने बाद भी पेनल्टी शूटआउट में हार गई थी।
क्रोएशिया का इतिहास
यूरोप के बीचों बीच मध्य पूर्व यूरोप में बसा देश है,जिसकी आबादी मात्र 40लाख है,इतनी तो यूपी के किसी जिले की होगी। 1527 में आटोमनसमराज्य प्रभाव देखते हुए वहाँ की संसद ने फ़र्डिनेंड ऑफ़ हैब्सबर्ग को अपना समराज्य सौंप दिया । 19वी सदी में युगोसोवलिया में शामिल हो गया और पहला विश्वकप यूगोस्लावालिया के तरफ़ से खेला था। क्रोएशिया नेे 1987 के चिल्ली में हुए अंडर 19 वर्ल्डकप में शानदार प्रदर्शन से दुनिया ध्यान अपने तरफ़ आकर्षित किया । उसके 11साल बाद 1998 में FIFA वर्ल्डकप में सेमी फ़ाइनल तक खेला।
इस फ़ीफ़ा वर्ल्ड के सेमी फ़ाइनल में क्रोएशिया के जीतने के बाद वहाँ का हर नागरिक गौरवान्वित महसूस कर रहा है, वहाँ की राष्ट्रपति ने अपनी टीम का उत्साह बढ़ाने के आम लोगों के साथ बैठ कर मैच देखा जब उनकी टीम जीती तो ख़ुद बधाई देने के लिए उनके पास पहुँच गयी।
इस पूरे FIFA वर्ल्ड कप में लगातार तीनो मैच जीतने वाली तीन टीम में से एक ये टीम है । 27 साल की जवान क्रोएशिया ने इंग्लैंड को धुलचाटा दी, अब 15 मार्च को धुल चटाने की बारी है।
क्रोएशिया को यहाँ तक लाने में सबसे बड़ा हाथ वहाँ के डिनामो ज़ाग्रेब एकेडमी का है जो लुका ,डेजान,सिमे विरास्लाजको, मारियो मांदज़ुचिक और मातेओ कोवासिच जैसे धधकते शोलो को फ़ुटबाल के मैदान तक लाया है। इस साल के वर्ल्डकप में सबसे छोटा देश क्रोएशिया फ़ाइनल में पहुँचा है ।
इस के लिए कबीर एक दोहा याद आता है
देखन छोटन लगे घाव करे गम्भीर