यूपी वाली सपा साइकल में बार-बार पंचर होए जा रे है . तो बांगड़ू राहुल मिश्रा कहत है कि ‘अब हमाउं तौ फिरोज़बादी एँ बताएँगे यूपी स्टाइल में पूरी कहानी हो का रिओ है’ .सबसे पहले तौ जाई बात पै हमउं नै एक दोहा लिख दओ- बा टाइम अखिलेश का सोच रे हुंगे! क्युकी अब मुन्नों जवान हेगो
“पापा-चचा दोउ खड़े काके लागूं पाएं,
तभी पापा ने चचा के, पांव दिए तुड़वाय।”
लौ जी एक और सर्जिकल स्ट्राइक है गओ ! समझ न आई होए तौ बता दूँ कि मैं यूपी में चचा भतीजे में जो रार ठनी है, बाकी बात कर रहूँ। अब जे कोई सर्जिकल स्ट्राइक से कम थोड़ी नाएं, जो अखिलेश ने बिचाए अपने चाचा शिवपाल पै करो। अब जा देखा देखी बुड्ढे मियाँ मुलायम सिंह ऊ को बंधुत्व प्रेम जाग गओ तौ उन नें ऊ अखिलेश को साथ देन वारे अपयें चचेरे भैया रामगोपाल यादव कूँ पार्टी सै निकाल दओ! अब जे सर्जिकल स्ट्राइक नाऐं तौ काए?
मोए तौ जेई समझ ना आरई कै अब ज्यादा बड़ो बेरोजगार कौने? रामगोपाल यादव या रामगोपाल वर्मा!
और अगर बात करूँ बा अखिलेश की तौ बाके तेवर सै तौ जेई लग रओ है कि रिश्ते नाते तौ राज की बात हैं भाई, राजनेता हूँ तौ राजनीति तौ करूँन्गो ही! और तौ और अबई सुनबे में आई है कै बचपैन में 19 को पहाड़ो बार बार सुनवे को बदला लओ है अखिलेश ने अपयें चचा शिवपाल सै!
हम तौ टीवी चैनलन के जरिऐंई चचा और भतीजे के बीच छिड़े जा अद्भुत युद्ध को मज़ा चाय की चुस्किन के संग लै रे हैं, हिंदुस्तानी ऐं ना, दूसरे की फटी में मजे ना लिंगें तौ नरक में जांगे।
और तौ और धमाकेदार, चटपटी खबरन के पीछै पीछै भागवे वारी हमाई टीवी मिडिया कूँ तौ जैसै मुंहमांगी मुरादई मिल गई। हमाई फिरोजाबादी भाषा में जाए कैत हैं- हर्र लगे न फिटकरी रंग चोखा।
जा चचा-भतीजे के कांड नै सीमा पार सै फायरिंग और सीमा पर रोज शहीद है रे जवानन की खबरन कूँइं दबा दओ! कल दोपहर, शाम, रात सै जबऊ टीवी आन करूँ तौ चैनलन पै चचा भतीजे के दर्शन है रए हैं। टीवी पर होवे वाई बहस के लएं जासे रोचक मुद्दा और का है सकतो है। ऐंकरउ तीतुल लड़ाने में पीछे ना रह रे, उन्हें तो मजाई आतो है टिल टका टिल टका बोलकै पार्टियन के प्रवक्तन कूँ भिड़ावे में। अब मेए हिसाब सै तौ सर्जिकल स्ट्राइक को दर्द पाकिस्तान सै पूंछवे की बजाए इन बिचाए शिवपाल और रामगोपाल सै पूंछनो चहिएं!
अब अगर सोचो जाए तौ अखिलेश ने अपयें पापा से बिना पूछें तौ इत्तो बड़ो कदम उठाओ ना होगो, बात कुर्सी की है भाई।
बिचाए शिवपाल मुख्यमंत्री बनबे को सपनौ देख रए हते लेकिन बे जे बात भूल गए कै- ‘यूपी’ काले रंग पर, रंग चढ़े न कोय, लक्स लगाकर कांबली, तेंदुलकर न होय।
चलौ जी हमाई बक बक तौ झां ख़त्म है रई है, अच्छी लगी होए या ख़राब! लेकिन जे बात याद रखियो कै,
“जो भी दोहा पाठ में, ताली नहीं बजाए
उस नर को विद फैमिली, पुलिस पकड़ ले जाए।”