उत्तराखंड में आज कल नयी नयी सरकार आयी है. हमारे पुराने व्यंग्यकार विनोद पंजी आजकल हमसे रिसाए हुए हैं. इसलिए उनके लेख हमें उनकी फेसबुक वाल से चुरा चुरा कर छापने पड़ते हैं, बाकी वो नयी सरकार में केस करें या देवता से कहकर चावल चढा दें हम नी डरते ..
उधर प्रकाश दा आबकारी मिलने पर झूमे नहीं समा रहे थे तो उधर गांव के एक चौतारे में बैठकर तीन चार बड़बाज्यू टाइप के विधायक ह्वाक में क्वैल फूक कर ख्याक ख्यांक कर रहे थे . रौत ज्यू का अलग ही सुर हो रहा था . ये नये वाले रौत ज्यू हैं ( पुराने वाले आजकल हार के कारणों की डबल समीक्षा कर रहे हैं . अरे यार दो जगह से हारे ठैरे तो समीक्षा भी डबल ही होगी .
खैर यहां बात नये रौत ज्यू की हो रही है . बेचारे गजबजी गये हैं . मुखमन्त्री तो ये भी बने ठैरे . पर सारा रौनक मेला यू पी वाले बाबा जी लूटकर ले जा रहे हैं . कैमरे वाले अखबार वाले फ्यूज चैनल सब योगी के पीछे कैमरा धोकर पड़े हैं .
गजबजाट हमारे रौत ज्यू के लिए हो गया है . समझ नहीं पा रहे हैं कहां से शुरू करें . गैरसैण पर गम्भीरता से विचार करूंगा कहकर एक कण्डी पकड़ा दी . मेरा मतलब कण्डी रोड भी खोलूंगा बल . सैप ज्यू गैरसैण पर गम्भीरता दिखाने से क्या फायदा . कुछ कमिटमेंन्ट जैसा करते तो लगता कि अच्छे दिन आऐगे . गम्भीर तो पिछले रौत ज्यू भी थे . बार बार जाकर टैन्ट गाढ कर आ जाते आल चाण रैत सपोड़ कर वापस देहरादून आकर डकार मारते . जनता ने भी ऐसा गम्भीर वोट दिया बेचारे गोल हो गये .
आपके पास पूरे चालीस विभाग हैं . जहां चालीस वहां घपचालीस मत कर देना हो . अगर कर भी दोगे हम क्या उखाड़ लेंगे दो तिहाई से ज्यादा बहुमत है .. हम तो बस रिक्वैस्ट बोले तो निवेदन . प्रार्थना वगैरह कर सकते हैं .
ओहो .. बज्जर पड़ जाल . बातों बातों में चौतारे पर बैठे बुजुर्गों को तो भूल ही गये .
परेशान हैं बेचारे . बुढापा बड़ी खराब चीज है . बन्शी दा . बिसन दा . हरवंश दा .. चिन्ता न करो सैप .. आडवाणी ज्वेशि ज्यू की नहीं चली आप तो …
खैर मार्गदर्शक नामक एक पद भी है भाजपा है . बस उसी का आनन्द उठाकर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की सुविधाओ का लाभ उठाइये . समय समय पर नाराजगी जता कर अपने होने का अहसास कराइये . और हां राम नाम का जाप भी कर सकते हैं