यंगिस्तान

 
  • फिल्म रिव्यू :फुकरे रिटर्न्स

    एक फिल्म है फुकरे रिटर्न्स ,आ गयी है थियेटर में . लगभग वैसी ही है जैसी फुकरे पहले बाली थी,स्टोरी तो सेम तू सेम मान लो बस ट्रीटमेंट अलग किया हुआ है. वह...
    दिसंबर 9, 2017 कमल पंत
  • सीधे कांग्रेस महल से

    व्यंगकार विनोद पंत इस बार कांग्रेस वालों के महल हो आये हैं. अब आगे का घटना क्रम उन्हीं की कलम से पढ़े..                          सोनियां ज्यू घर में आ...
    दिसंबर 6, 2017 ओये बांगड़ू
  • तेरा- मेरा कोहरा

    ये लोग तो भल कि पल्यूशन है, मेरको लगा कुछ होगा. दाज्यू, मैंने तो कोहरा ही देखा है. जीवन में पहली बार कोहरा तो तब ही महसूस हुआ था जब बौज्यु 12वी की परी...
    नवंबर 15, 2017 ओये बांगड़ू
  • डियर X- गर्लफ्रेंड पार्ट-2

    डियर X- गर्लफ्रेंड तुम्हारा जवाब पढ़ा. पढ़कर वही फिलिंग आयी जो दूध में अंडा और चीनी डाल तुम्हारे हाथों के बने ब्रैड के विदेशी ब्रेक-फास्ट को खा कर आयी थ...
    अक्टूबर 15, 2017 Girish Lohni
  • डियर Ex-बॉयफ्रेंड

    डियर Ex शब्दों से अच्छा तो तुम खेल ही लेते थे अब जादूगरी भी अच्छी करने लगे हो. तुम्हारी ही कहूँ तो खेलने और जादूगरी में बस छल का ही एक भेद है. तुम्हार...
    अक्टूबर 9, 2017 Girish Lohni
  • डियर X- गर्लफ्रैंड

    डियर X- गर्लफ्रैंड, मैं चाहता हूं तुम इसे पढ़ो और जानो कि वो मक्खी जिसे तुमने अपनी जिंदगी के दूध से निकाल फेंका था, अभी जिंदा है। तुम्हें जानना चाहिये...
    अक्टूबर 4, 2017 Girish Lohni
  • दूरदर्शन के दौर का इतवार

    बात तब की है जब कुछ ना मिलने पर तागे में चप्पल बांद कर ही हवा में उड़ती पतंग को लंगड़ से चुनौती दी जाती थी. तब ख़ुशी कैसेट के दोनों साईड दस-दस गाने भर जा...
    सितंबर 18, 2017 Girish Lohni
  • पंतों का आरक्षण

    विनोद पन्त ने जाटों और हार्दिक पटेल से प्रेरित होकर पंतो के लिए रिजर्वेशन की मांग कर डाली है उनकी कुछ विशेष मांगें ये हैं व्यंगकार विनोद पन्त आरक्षण च...
    अगस्त 28, 2017 ओये बांगड़ू
  • सराह- भीषण आशिकों की नई टायलेट दीवार

    इन दिनों एक बवाल एप्प चली है. नाम है सराह. है तो यो अरबी का शब्द जिसका मतलब ईमानदारी से है. इजात भी इसका सऊदी में ही हुआ है. पर इन दिनों बवाल अपने देश...
    अगस्त 23, 2017 Girish Lohni
  • पुस्तक समीक्षा – चालीसा का रहस्य

    सहर करीब दस साल से पढ़ने और लिखने के शौक को काम की तरह करते हैं। तीन साल से अपना ब्लॉग लिख रहे हैं। खुद को अति-प्रैक्टिकल मानते हैं इसलिए इनकी कहानियों...
    अगस्त 14, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन 13

    डाक्टर अनिल कार्की के अपनी माटी अपना बचपन की यह 13वीं किश्त ‘दूधभाषा’ आपकी अपनी निजी भाषा और इसके इतिहास को लेकर है,हम अपनी दुधबोल...
    जुलाई 31, 2017 ओये बांगड़ू
  • फिल्म रिव्यू :मुबारकां

    निर्देशक अनीज बज्मी ने फिर से सरदार वाली फिल्म बनाई है नाम है मुबारकां, वैसे सिंह इज किंग के बाद अनीज बज्मी साहब शायद सरदार को फिल्म में कम्पलसरी मानन...
    जुलाई 30, 2017 कमल पंत
  • A फार? किस्सा शिक्षा का

    विनोद उप्रेती कहते हैं कि वो लेखक नहीं हुए, लेकिन लिख एसा डालते हैं कि लेखकों को खुद को लेखक कहने में शर्म आ जाए. ये उनका पहला लेख है हमारे साथ. बांगड...
    जुलाई 28, 2017 ओये बांगड़ू
  • किस्सा पड़ाव का

    विनोद उप्रेती कहते हैं कि वो लेखक नहीं हुए, लेकिन लिख एसा डालते हैं कि लेखकों को खुद को लेखक कहने में शर्म आ जाए. ये उनका पहला लेख है हमारे साथ. बांगड...
    जुलाई 27, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन भाग -12

    डाक्टर अनिल कार्की रचित अपनी माटी अपना बचपन’ की 12 वीं किश्त आप सभी के लिए प्रस्तुत है ! ‘जानवरों के नामकरण’ लेखक अनिल क...
    जुलाई 17, 2017 ओये बांगड़ू
  • फिल्म रिव्यू :जग्गा जासूस, कुछ खट्टी कुछ मीठी जासूसी

    सहर करीब दस साल से पढ़ने और लिखने के शौक को काम की तरह करते हैं। तीन साल से अपना ब्लॉग लिख रहे हैं। खुद को अति-प्रैक्टिकल मानते हैं इसलिए इनकी कहानियों...
    जुलाई 15, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन भाग-11

    डाक्टर अनिल कार्की कहते हैं कि पिछली दस किश्तों के बाद यह ग्यारहवीं किश्त उन सभी भले बुरे गुरुओं के नाम जिन्होंने जिन्दगी में कुछ ना कुछ सिखाया . इसका...
    जुलाई 9, 2017 ओये बांगड़ू
  • डियर भुला

    “ सरकार अभी हनीमून पर है असुविधा के मौज लें ” वाले बोर्ड के पीछे दाहिने तरफ एक चिट्ठी मिली है. किसने किसको लिखी है भगवान जाने. जिसे अधिक जिज्ञासा हो ग...
    जुलाई 7, 2017 Girish Lohni
  • अपनी माटी अपना बचपन- 10

    डाक्टर अनिल कार्की कहते हैं कि अपनी माटी अपना बचपन की यह 10वीं किश्त’भोटिया-भोट जुमली-जुमला’आप सब लोगों के लिए बैलों के साथ लेखक डाक्टर अनिल कार्की मे...
    जून 28, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन -9

    डाक्टर अनिल कार्की कहते हैं अपनी माटी अपना बचपन की पिछली आठ किश्तें आप लोग पढ़ चुके हैं. आप लोगों ने खूब सरहा, खूब पंसद किया, सुझाव रखे इसके लिए तहेदिल...
    जून 23, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन – 8

    डाक्टर अनिल कार्की कहते हैं कि “अपनी माटी अपना बचपन के पिछले सात पाठ आप लोगों ने खूब पसंद किये इसके लिए बेहद शुक्रिया लीजिये पेश है आठवीं कि...
    जून 17, 2017 ओये बांगड़ू
  • फिल्म रिव्यू : बहन होगी तेरी!

    ‘सहर’ करीब दस साल से पढ़ने और लिखने के शौक को काम की तरह करते हैं। तीन साल से अपना ब्लॉग लिख रहे हैं। खुद को अति-प्रैक्टिकल मानते ह...
    जून 10, 2017 ओये बांगड़ू
  • शहरी बच्चों के लिए है फिल्म ‘कादम्बन’

    बाबा बांगडू यूट्यूब में ट्रेलर देख रहे थे,अचानक ये दिख गया साउथ का धमाल  ये दक्षिण की फ़िल्में सच में कुछ अलग लिए होती हैं, अभी बाहुबली देखी होगी सबने ...
    जून 10, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन -7

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    जून 9, 2017 ओये बांगड़ू
  • भेल भंडार

    चन्द्र शेखर खुलबे साहब मुम्बई में रहते हैं और संगीत में बसते हैं, खाने पीने की चीजों में भी पता नहीं कौनसा संगीत खोज लाते हैं भेल भेल का रंग है , भेल ...
    जून 4, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन -6

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    जून 2, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन -5

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    जून 1, 2017 ओये बांगड़ू
  • हिंदी Medium- अपनी सी कहानी

    अगर आप अपने छोटे से गांव से किसी भी छोटे या बड़े शहर के नामी स्कूल में दाखिला लेकर पढ़े हैं तो इन दिनों आपके लिये सिनेमा हॉल में एक बढ़िया फिल्म लगी है न...
    मई 31, 2017 Girish Lohni
  • आपनी माटी अपना बचपन -4

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    मई 24, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन -3

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    मई 23, 2017 ओये बांगड़ू
  • अपनी माटी अपना बचपन -2

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    मई 17, 2017 ओये बांगड़ू
  • रपट- रैनसमवेयर की

    रैनसमवेयर वायरस की रपट भारतीय थाने पहुंचने पर एक संवाद. रैनसमवेयर की रपट का भारतीय थाने में पहुंचने से लेकर थाने में साइबर सेल की मौजूदगी, थानेदार का ...
    मई 16, 2017 Girish Lohni
  • अपनी माटी अपना बचपन -1

    डाक्टर अनिल कार्की कवि हैं लेखक हैं और पहाड़ का मर्म समझने वाले पहाडी हैं, अपने आस पास के ठेठ पहाडी पन को बड़ी ख़ूबसूरती से शब्दों में पिरोते हैं और देश ...
    मई 16, 2017 ओये बांगड़ू
  • मीडिया का इंडिया

    वर्तमान भारतीय इलेक्ट्रॉनिक मिडिया की ख़बरों की मान ली जाय तो भारत दिल्ली-एनसीआर से शुरु होकर दिल्ली-एनसीआर में ही खत्म हो जाता है. इसके अलावा इसके चार...
    मई 15, 2017 Girish Lohni
  • युद्ध में बासु हो जाते हैं बच्चे

    रोहित जोशी का यह लेख इससे पहले मीडिया विजिल में छप चुका है, लेखक की इजाजत से इसे दोबारा यहाँ प्राकशित किया जा रहा है तबियत खराब हो, रात में नींद नहीं ...
    मई 9, 2017 ओये बांगड़ू
  • बहुरंगी देश म्हारा

    चंकी महाराज सोशल मीडिया में भटक रहे थे , तभी उनकी नजर एक बहुत फेमस फेसबुक लेखिका के पोस्ट पर पड़ी , जिस पर लिखा था कि “सेक्स करना ना करना ये ...
    मई 5, 2017 ओये बांगड़ू
  • “कोई दिवाना कहता था ..’

    वल्ला क्या जमाना आ गया बोलो, जिसे हम कहते थे कि गजब का कलाकार है वो ही अजब हाल में है. अरे वही जिसे  ‘कोइ दीवाना कहता है कोइ पागल समझता है&a...
    मई 4, 2017 ओये बांगड़ू
  • आज मरा था हिटलर

    एक हुआ करते थे एडोल्फ हिटलर, नाम तो सुना ही होगा, मक्खी की सी मूंछों वाला, द्वितीय विश्वयुद्ध का सबसे बड़ा खलनायक जिसने अपनी तानाशाही में लाखों यहूदियो...
    अप्रैल 30, 2017 ओये बांगड़ू
  • आमजन को भगवान दिखाने वाला चित्रकार

    एक बड़े जबर्दस्त कलाकार होते थे, नाम था राजा रवि वर्मा, केतन मेहता साहब की एक फिल्म रंगरसिया के जरिये बहुत से लोगों ने राजा रवि वर्मा को जाना होगा. एक ...
    अप्रैल 29, 2017 ओये बांगड़ू
  • गिनीज़ का बुखार या पागलपन…?

    ठीके में एही दुनियां में भांति-भांति के लोक है। कुछ लोक तो अपना शोहरत खातिर कुछुओ करने ना ही हिचकती है। अगर बात गिनीज बुक में नाम दर्ज कार्बन का हो तो...
    अप्रैल 27, 2017 Shivesh Jha
  • कलर्स में आयेंगे दिल्ली के दिव्यांग बच्चे

    कलर टीवी के नए रियल्टी शो में दिल्ली के दिव्यांग बच्चों ने हिस्सा लिया, एक्रबेटिक योगा की टीम ने कलर चैनल में जल्द प्रसारित होने वाली रियल्टी शो के लि...
    अप्रैल 27, 2017 ओये बांगड़ू
  • फिल्म बनाने से पहले तनिक रिसर्च काहे नहीं करते

    आज रमीज़ रज़ाअंसारी फिल्मों में भाषा के खेल में होने वाली चीटिंग के बारे में तनिक विस्तार से बता रहें हैं . हाल ही में फ़िल्म ‘हाफ़ गर्लफ्रेंड&a...
    अप्रैल 24, 2017 ओये बांगड़ू
  • कबाड़ और जुगाड़ का मिश्रण

    ई हई बिहारक रजधानी पटना। वैसे तो पटना गाँधी मैदान, बजरंगवली मंदिर, गोलाम्बर, लालू यादव इत्यादि बहुतो चीज के लिए फेमस है, परन्तु आजकल हियाँ चर्चा का वि...
    अप्रैल 22, 2017 Shivesh Jha
  • डिप्रेशन – दोबारा पूछो

    डिप्रेशन एक एसी बीमारी है जिसे हम जब तक अच्छी तरह समझ पाते हैं तब तक वो विकराल रूप ले लेती है. वैसे डाक्टरी भाषा में इसके लक्ष्ण बडे आसान से बता दिए ग...
    अप्रैल 22, 2017 कमल पंत
  • बेग़म जा़न- घर बचाने की कहानी

    कहानी 1947 में भारत की आजादी की , किसी ऐसी जगह जहां भारतीय मर्द चोरी से रात के अन्धेरों में जाते हैं और रेडक्लीफ की खीची दो मुल्क बनाने वाली लकीर जब क...
    अप्रैल 16, 2017 Girish Lohni