बांगड़ूनामा

बिरादरी की नाक

जुलाई 27, 2017 कमल पंत

‘उसको इतना ज्यादा चाहा है कि उसके बिना कल्पना भी नहीं कर सकता ‘ बहुत गंभीर होकर बादलों की तरफ देखता हुआ साजन बोला.
‘अच्छा आज बहुत याद आ रही है उसकी , कोइ सन्देश मिला है क्या उसका या सपनों में बातें हुई ‘ चिढाते हुए ज्ञान ने कहा ..
‘हर बात मजाक नहीं होती , वह कहाँ है ,कैसी है ,ये नहीं पता, वह भागी है घर से इस बात को लेकर गुस्सा जरूर है , लेकिन उसके लिए चाहत कैसे कम हो सकती है ,आखिर औलाद है वो मेरी .’
‘और मै ..? मै औलाद नहीं हूँ ?.मेरे बिना कल्पना कर सकते हो ?’
‘तू लड़का है पगले ..तू घर छोड़कर जाता तो तेरी भी फ़िक्र होती .पर तेरा मामला मै संभाल लेता,लेकिन वो लडकी है .मेरे साथ साथ बिरादरी की लडकी ,वो वापस भी आयेगी तो मेरी हिम्मत नहीं होगी मामला संभालने की .’ साजन रो पड़ा था .
‘हां बिरादरी वाले ही उसे खत्म कर देंगे ‘ घर के दोनों मर्द अपने घर की लक्ष्मी के लिए फिक्रमंद थे.
दोनों में मर्दानगी थी लेकिन अपनी लक्ष्मी को बचाने की हिम्मत नहीं .दोनों उसके बिना मर जाते,पर बिरादरी में नाक ………….?
तभी साजन बोला .’सुन ज्ञान जैसे ही वो लोग उसको मारें तू मुझे मार देना .लोगों का ध्यान भटक जाएगा .’

‘आप पागल हो मै कैसे आपको मारूंगा ………?”
‘उसको बचाने का यही एक तरीका है ”

“होने दो ..लेकिन मुझसे नहीं होगा ”

ये तो बस एक तैयारी थी जो दोनों कर रहे थे कि अगर उनकी लक्ष्मी पकड़ी गयी तो वो कैसे उसे बचा सकते हैं.
आखिर लक्ष्मी पकड़ी गयी .बिरादरी की नाक कटाने और छोटी जाती के साथ शादी करने के जुर्म में उसे प्रताड़ित किया .मार दिया .
साजन ने नदी में कूद मार दी ,और ज्ञान अपने पिता को बचाते हुए मारा गया .

एक पूरा घर बिरादरी की नाक के कारण बर्बाद हो गया.

 

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