ओए न्यूज़

आजकल वर्ती ना जी चरति कहो

अक्टूबर 4, 2016 सुचित्रा दलाल

ओएबांगड़ू आजकल माता के नवरात्रे चल रे है और हर जगह भगति भाव कुछ घणा (ज्यादा) ही नज़र आवे है. अर ” सारे बोलो जय माता दी ” तै ले कै ” माँ मुरादे पूरी कर दे हलवा बांटूगी ” कह- कह कै माता नै भी लालच देण का सिलसिला जोरशोर तै चलन लाग रहा है. तो दिल्ली मै रहन वाली बांगड़ू ख़ुशी गुलिया न्यू बोली ओएबांगड़ू मैं बताउंगी के हॉवे आजकल के वर्त मै

नवरात्र शुरू होते ही मेट्रो ,मार्किट और ऑफिस तक का माहौल सब बदल जा है .खासकर मेट्रो के लेडीज वाले डब्बे मै मेकअप के साथ लाल तिलक एड हो जा है. आजकल की वर्त वाली चरति सुबह-सुबह वर्त है कहते हुए अपने-अपने डब्बे खोल कै बैठ जा है. कोए फ्राइड आलू पै टूट पड़े है तो कोए वर्त का लिहाज करते होए फ्रूट तै काम चला ले है. भई ऑफिस जा कै वर्त वाली थाली और अब लेटेस्ट शुरू हुआ डोमिनोज का वर्त वाला पिज़्ज़ा जो आर्डर करना होवै है. तो नौ दिन तक शुरू हो जा है चरति और बस चरति रहन का सिलसिला. वैसे भी आजकल वर्ती ना जी चरति रहना नया है.

वैसे वर्त होवे कै है इसकी बात करै तो शुद्ध हिंदी मै ” किसी खास मकसद की  प्राप्ति के लिए दिनभर के लिए अन्न या जल या अन्य भोजन या इन सबका त्याग ” खैर ये हुई पुराणी बात तो आजकल का नया ट्रेंड है ” छोड़ो कल की बाते कल की बात पुरानी, नौ दिन तक छोड़ेंगे सिर्फ हम रोटी खानी ” क्युकी बांगड़ू बाकि सब तो चलता है न मार्किट में वर्त वाली टिक्की, वर्त वाली पूरी – सब्जी, और मन कर जाए तो वर्त वाले गोल-गप्पे और दहीभल्ले भी टेस्ट कर लो . बाकि वर्त तो चल ही रहे चरति रहने के न्यू ट्रेंड के साथ.

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