पितरो को खुश करने वाले श्राद्ध चल रहे है और पंडित, कव्वे, गाय, चींटी और कुत्ते खूब जिमाये जा रहे है पर बात अगर हरियाणा की करे तो वहा श्राद्ध की भी अलग कैटेगरी है। एक और जहां देश के बाकि हिस्सों में सभी मृत जनों को पितर माना जाता है वहीं हरियाणा में परिवार का जो अविवाहित पुरुष सदस्य अकाल मृत्यु का शिकार हो जा है वही पितर माना जावे है। हरियाणा के खेतों में आज भी अपने इन पितरों के प्रति आस्था प्रकट करने के लिये बनाई गई मंढ़िया या छोटे-छोटे मंदिर दिखाई दे जा हैं। हरियाणवी में इन्हें मंढ़ी और थान कहकर भी पुकारा जा है। ताकि हमेशा परिवार वाले उस शख्स नै याद रखे .